What is Anthropology? Discuss the relation of Anthropology with Sociology and Psychology.

 What is Anthropology? Discuss the relation of Anthropology with Sociology and Psychology.
(मानवशास्त्र क्या है ? मानवशास्त्र का समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान के साथ सम्बन्धों की विवेचना करें।)

 


मानवशास्त्र का अंग्रेजी रूप 'एन्थ्रोपोलोजी' दो मूल शब्दों- 'एन्थ्रोपोस तथा लोगस से बना है। एन्थ्रोपोस का अर्थ मनुष्य है और लोगस का अर्थ विज्ञान है। इस प्रकार शब्दार्थ के आधार पर मानवशास्त्र को मानव के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

परिभाब (Definition):- मानवशास्त्र की कुछ मुख्य परिभाषाएँ इस प्रकार हैं
कलाई कल्लखन के अनुसार-"मानवशास्त्र मानव का पूर्ण अध्ययन है।" 
हॉवल के अनुसार "मानवशास्त्र मानव एवं उसके समस्त कार्यों का अध्ययन है। अपने सम्पूर्ण अर्थ में यह मानव की. प्रजातियों एवं प्रथाओं का अध्ययन है।"

क्रोबर के अनुसार "मानवशास्त्र मनुष्यों के समूहों, उनके व्यवहार एवं उत्पादन का विज्ञान है।"

जैकब्स तथा स्टर्न के अनुसार-"मानवशास्त्र मानव-जाति के जन्म से लेकर वर्तमान काल तक मानव के शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास और व्यवहारों का वैज्ञानिक अध्ययन करता है।"

इन परिभाषाओं के विश्लेषण से निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं

1. मानव शास्त्र के अन्तर्गत मानव जाति के जन्म से लेकर वर्तमान समय तक मानव एवं उसके कार्यों का विस्तृत अध्ययन है।

2. यह मानव के समग्र रूप का विज्ञान है। इसमें मानव के शारीरिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास का अध्ययन किया जाता है।

3. यह प्रत्येक युग और प्रत्येक सांस्कृतिक स्तर के मानव का अध्ययन है। 
4. यह मानव के व्यवहार एवं उसके उत्पादन का अध्ययन है।

मानवशास्त्र को शरीरधारी मानव का प्राकृतिक अध्ययन करने के कारण प्राकृतिक विज्ञान कहा गया है और दूसरी तरफ सांस्कृतिक मानव के अध्ययन के कारण उसे समाज विज्ञान कहा गया है। इस तरह मानवशास्त्र का सम्बन्ध प्राकृतिक विज्ञानों के साथ-साथ सामाजिक विज्ञानों से भी है। सामाजिक विज्ञानों के साथ इसके सम्बन्ध की चर्चा निम्नवत् की जा सकती है



मानवशास्त्र तथा समाजशास्त्र (Anthropology and Sociology)

मानवशास्त्र मानव का विज्ञान है और समाजशास्त्र समाज का विज्ञान है। मानव और समाज दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। समाज का अध्ययन मानव के अध्ययन के बिना नहीं हो सकता और मानव का पूर्ण अध्ययन समाज के अध्ययन के बगैर नहीं हो सकता। इसलिए इन दोनों का अध्ययन करने वाले विज्ञान, मानवशास्त्र और समाजशास्त्र के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होना स्वाभाविक है। इसी कारण क्रोबर ने इन दोनों विज्ञानों को जुड़वा बहनें कहा है। मानवशास्त्र और समाजशास्त्र में निम्नलिखित समानताएँ पायी जाती हैं

1. मानवशास्त्र में मानव तथा मानव द्वारा निर्मित संस्कृति और सभ्यता का अध्ययन किया जाता है। समाजशास्त्र में भी इसका अध्ययन किया जाता है।
2. हॉवल के अनुसार मानवशास्त्र तथा समाजशास्त्र दोनों में मानव समूहों के अन्तःसम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

3. मानवशास्त्री अपने अध्ययन में समाजशास्त्रीय अवधारणाओं एवं सिद्धान्तों का उपयोग करते हैं।

4. मानवशास्त्र मुख्य रूप से छोटे समुदायों, जैसे जनजातीय समाज की संस्कृति तथा आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संस्थाओं का अध्ययन करता है। इन अध्ययनों के फलस्वरूप जिन अवधारणाओं का विकास होता है उनका उपयोग आधुनिक जटिल समाजों के अध्ययन में समाजशास्त्रियों द्वारा किया जाता है।

इन समानताओं के कारण ही प्रसिद्ध समाजशास्त्री एन० एन० श्रीनिवास ने कहा है कि मानवशास्त्र तथा समाजशास्त्र में भिन्नता करना वास्तविकता को आघात पहुंचाना है। भारत में चाहे जाति व्यवस्था का अध्ययन हो या संयुक्त परिवार का उसे समाजशास्त्रियों तथा मानवशास्त्रियों दोनों ने ही किया है। परन्तु मानवशास्त्र तथा समाजशास्त्र में घनिष्ठ सम्बन्ध होने के बावजूद भी इन दोनों के बीच कुछ मौलिक अन्तर पाये जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं

1. मानवशास्त्र आदिम समाजों का अध्ययन करता है, जबकि समाजशास्त्र आधुनिक समाज का।

2. मानवशास्त्र में आदिम समाज के धर्म और जादू, राज्य और कानून, संस्कृति और कला, प्रथा, सामाजिक और आर्थिक संगठनों का अध्ययन किया जाता है। जबकि समाजशास्त्र में सामाजिक अन्त:क्रियाओं और उससे उत्पन्न सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

3. मानवशास्त्र सामाजिक घटनाओं का अध्ययन सांस्कृतिक दृष्टिकोण से करता है, लेकिन समाजशास्त्र उसका अध्ययन सामाजिक दृष्टिकोण से करता है।

4. मानवशास्त्र में मुख्य रूप से सहभागी अवलोकन पद्धति का प्रयोग किया जाता है, लेकिन समाजशास्त्र में प्रश्नावली, अनुसूची एवं साक्षात्कार का।


मानवशास्त्र एवं मनोविज्ञान (Anthropology and Psychology)

मानवशास्त्र एवं मनोविज्ञान में बड़ा निकट का सम्बन्ध पाया जाता है। मनोविज्ञान मानव की मानसिक रचनाओं और व्यवहारों का अध्ययन करता है। दूसरी तरफ मानवशास्त्र मानव का समग्र अध्ययन करता है। इसमें मानव व्यवहारों एवं अनुभवों का तुलनात्मक अध्ययन होता है। इस सम्बन्ध में लिण्टन का विचार है कि मनोविज्ञान को मानवशास्त्र के निकट आने से बहुत परिणाम निकले हैं। मनोविज्ञान की मदद से हम समझ सकते हैं कि प्राचीन मानव में कैसे विचार रहे होंगे, उसकी क्या भावनाएं रही होंगी आदि। मानवशास्त्र प्राचीन मानव का सिर्फ ढाँचा ही खड़ा कर सकता है, लेकिन उनमें मानवीयता का पुट मनोविज्ञान दे सकता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मानवशास्त्र तथा मनोविज्ञान में कुछ समानताएँ पायी जाती हैं, जो निम्नलिखित हैं

1. मानवशास्त्र तथा मनोविज्ञान में मानव व्यवहारों के अवलोकन के आधार पर ही सामान्य सिद्धान्त निकाले जाते हैं। ये दोनों मानव प्रकृति का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं।

2. मानवशास्त्र मानव व्यवहारों का विभिन्न परिस्थितियों में अध्ययन करता है, जिससे मनोविज्ञान को मानव मस्तिष्क के गहन अध्ययन में मदद मिलता है। प्राचीन मानव के अध्ययन में मनोविज्ञान मानवशास्त्र से सहायता लेता है।
3. मनोविज्ञान की एक शाखा समाज मनोविज्ञान एवं मानवशास्त्र की एक शाखा सांस्कृतिक मानवशास्त्र के अध्ययन-क्षेत्र से मानवशास्त्र एवं मनोविज्ञान के गहरे सम्बन्ध का अनुमान लग जाता है। समाज मनोविज्ञान में सामाजिक परिस्थिति में व्यक्ति का अध्ययन होता है और सांस्कृतिक मानवशास्त्र में मानव समाज की संस्कृतियों, सामाजिक संस्थाओं एवं समूहों का अध्ययन होता है। 

इन समानताओं के साथ-साथ मानवशास्त्र तथा मनोविज्ञान दोनों के बीच कुछ अन्तर भी पाया जाते हैं, जो निम्न हैं

1. मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहारों का अध्ययन करता है, जबकि मानवशास्त्र सम्पूर्ण मानव का।

2. मनोविज्ञान व्यक्ति का सूक्ष्म अध्ययन करता है और उसका केन्द्रीय विषय मानव की मासिक प्रक्रिया और अनुभव है। दूसरी तरफ मानवशास्त्र व्यक्तियों के समूहों का अध्ययन करता है।

3. मनोविज्ञान मानव जीवन के केवल मानसिक पक्ष का अध्ययन करता है, जबकि मानवशास्त्र मानव के शारीरिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक पक्षों का अध्ययन है।


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