विज्ञान और मापन

दोस्तों आज हम यह  जानने का प्रयास करेंगे की विज्ञान क्या है, जिसमे हम विज्ञानों के संस्करण का वर्णन करेंगे, मैं आपके सवालों के जवाब देने का प्रयास करूँगा, आज हमविज्ञान की कुछ विषयों पे चर्चा करेंगे जिसमे हम विज्ञान से जुड़ी कुछ बातो को जानने का प्रयास करेंगे जैसे-  विज्ञानं का अर्थ क्या है, विज्ञानिको के  अनुसार विज्ञान की परिभाषा क्या है, विज्ञान की विशेषता, विज्ञान के कितने भाग है, आज हम भौतिकी पे चर्चा करेंगे जिसमे जानेंगे की भौतिकी विज्ञान क्या है, भैतिकी विज्ञान की परिभाषा क्या है इत्यादि_
आज का हमारा विषय कक्षा 9वीं के विज्ञान की किताब पे आधारित होगा जिसमे हम भौतिक विज्ञान कक्षा 9 पर आधारित सवालों के जवाब जानेंगे, जैसे- विज्ञान, मापन, विज्ञान और मापन, मात्रक और मापन, मापन की सीमाएं, मापन की आवश्यकता क्यों होती है, मापन के प्रकार इत्यादि_
दोस्तों मैं साथ में ही आज के विषय विज्ञान और मापन का PDF तथा मात्रक और मापन  PDF भी निचे दे दूंगा आप वह से हिंदी एवं इंग्लिश दोनों में भौतिक विज्ञान कक्षा 9 PDF DOWNLOAD कर सकते हैं। 




विज्ञान 

सावधानीपूर्वक और क्रमबद्ध तरीके से किए गए प्रयोगों और परीक्षणों द्वारा प्राप्त ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं विज्ञान की दो मुख्य शाखाएँ हैंभौतिक विज्ञान और जीवविज्ञान। भौतिक विज्ञान (physical science) का संबंध निर्जीव पदार्थों और उनसे संबद्ध घटनाओं से होता है, जबकि जीवविज्ञान (life science) का संबंध सजीव पदार्थों और उनसे संबंधित घटनाओं से है।

भौतिक विज्ञान की दो शाखाएँ हैं- भौतिकी (physics) एवं रसायनशास्त्र (chemistry) जीवविज्ञान की भी दो शाखाएँ हैं— पेड़-पौधों से संबद्ध वनस्पतिविज्ञान (botany) और जीव-जंतुओं से संबद्ध प्राणिविज्ञान (zoology)

किसी वैज्ञानिक के काम करने के तरीके, अर्थात वैज्ञानिक विधि (scientific method) के पाँच मुख्य अंग हैं

1. घटनाओं का सावधानीपूर्वक किया गया प्रेक्षण (observation)

2. संभावित कारणों का अनुमान लगाना

3. परीक्षणों और प्रयोगों द्वारा उन कारणों की जाँच (test)

4. जाँचों के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुँचना

5. आवश्यकतानुसार विचारों और सोच में अपरिहार्य परिवर्तन करना

वैज्ञानिक किसी एक राष्ट्र या किसी एक काल के नहीं होते। वे समस्त मानवजाति के होते हैं। विज्ञान एक निरंतर चलनेवाली मानवीय प्रक्रिया है। महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein) ने कितना ठीक कहा था

"इस बात को हमेशा याद रखना कि जो अद्भुत बातें तुम अपने विद्यालयों में सीखते हो, वे संसार के सारे देशों में कई पीढ़ियों द्वारा उत्साहपूर्वक किए गए प्रयास और अनवरत परिश्रम का ही फल है। यह सबकुछ तुम्हारे हाथों में विरासत के रूप में दिया गया है ताकि तुम इसे स्वीकार करो, इसे मान दो, इसमें वृद्धि करो और एक दिन इसे तुम भी अपनी अगली पीढ़ी को निष्ठापूर्वक सौंप जाओ।"



मापन

विज्ञान मापन (measurement) पर आधारित है। किसी भी राशि (quantity) की माप के लिए कुछ मानक मापों की आवश्यकता होती है। इसी मानक (standard) को उस राशि का मात्रक (unit) कहते हैं।

किसी राशि का परिमाण (magnitude) उसके मात्रक के साथ तुलना (comparison) करके ज्ञात किया जाता है। उदाहरण के लिए, जब हम यह कहते हैं कि किसी टेबुल की लंबाई 2 मीटर है तो इसका अर्थ यह है कि दो मीटर स्केलों को एक सीध में सिरे से सिरा जोड़कर रखने पर वे टेबुल के लंबाई के तुल्य होंगे। अतः, टेबुल की लंबाई का परिमाण है


2 मीटर =2x1 मीटर

इस प्रकार किसी राशि के परिमाण के पूर्ण विवरण के लिए निम्नांकित दो बातों का ज्ञान आवश्यक है।

1. एक मात्रक (unit) जिसमें राशि को व्यक्त किया गया, तथा

2. एक संख्यांक (numeral), जो यह बताता है कि दी गई राशि में वह मात्रक कितनी बार शामिल है।

 

भौतिक राशियाँ

भौतिकी (physics) के नियमों को जिन पदों (terms) में व्यक्त किया जाता है उन्हें भौतिक राशियाँ (physical quantities) कहते हैं, जैसे-लंबाई, द्रव्यमान, समय, बल, ऊर्जा, वेग इत्यादि।

भौतिक राशियाँ दो प्रकार की होती हैं

1. आधारी राशियाँ (base or basic quantities) तथा 2. व्युत्पन्न राशियाँ (derived quantities)

आधारी राशियाँ वे हैं जो स्वतंत्र (independent) मानी जाती हैं, जैसे-लंबाई, द्रव्यमान, समय इत्यादि। वास्तव में आधारी राशियाँ सात हैं।

व्युत्पन्न प्राशियाँ वे हैं जो आधारी राशियों के पदों में व्यक्त की जाती हैं, जैसे-क्षेत्रफल, आयतन, बल, कार्य, ऊर्जा इत्यादि।

मात्रकों की पद्धतियाँ

 आधारी राशियों के मात्रक को आधारी मात्रक (basic units) तथा व्युत्पन्न राशियों के मात्रक को व्युत्पन्न मात्रक (derived units) कहते हैं।

वह मात्रक जो किसी अन्य मात्रक पर निर्भर नहीं करता, उसे आधारी मात्रक कहते हैं। ऐसे मात्रक एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। उदाहरण के लिए लंबाई (length), द्रव्यमान (mass) और समय (time) आधारी राशियाँ हैं। इन राशियों के मात्रक को आधारी मात्रक कहते हैं। अन्य सभी मात्रक जो इन आधारी मात्रकों से निकाले गए हैं, व्युत्पन्न मात्रक (derived units) कहे जाते हैं। अतः, उस मात्रक को जो आधारी मात्रकों पर निर्भर करता है, अर्थात जिसे आधारी मात्रकों की सहायता से व्यक्त किया जाता है, व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं।

 उदाहरण के लिए, क्षेत्रफल मापने के लिए वर्ग सेंटीमीटर मात्रक का व्यवहार किया जाता है। यह मात्रक उस वर्ग का क्षेत्रफल है जिसकी प्रत्येक भुजा एक सेंटीमीटर (cm) है। वर्ग सेंटीमीटर मात्रक आधारी मात्रक पर निर्भर करता है, अतः यह व्युत्पन्न मात्रक है। इसी प्रकार आयतन, वेग, त्वरण, बल इत्यादि के मात्रक व्युत्पन्न मात्रक हैं।

 सभी प्रकार की राशियों के लिए मात्रकों, (आधारी तथा व्युत्पन्न दोनों), के पूरे समूह को मात्रकों की पद्धति (system of units) कहते हैं।

 पूरे विश्व में आधारी मात्रकों की कई पद्धतियाँ प्रचलित थीं। उनमें कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं।

 1. फुट-पाउंड-सेकंड पद्धति (foot-pound-second system) -इस पद्धति को संक्षेप में fps पद्धति कहते हैं। इस पद्धति में लंबाई का मात्रक फुट, द्रव्यमान का मात्रक पाउंड तथा समय का मात्रक सेकंड होता है। इस पद्धति को ब्रिटिश पद्धति (British system) भी कहा जाता है।

 2. सेंटीमीटर-ग्राम-सेकंड पद्धति, (centimetre-gramsecond system) -इस पद्धति को संक्षेप में cgs पद्धति कहते हैं। इस पद्धति में लंबाई का मात्रक सेंटीमीटर, द्रव्यमान का मात्रक ग्राम तथा समय का मात्रक सेकंड होता है। इस पद्धति को मीटरी पद्धति (Metric system) भी कहा जाता है।

 3. मीटर-किलोग्राम-सेकंड पद्धति (metre-kilogramsecond system) -इस पद्धति को संक्षेप में mks पद्धति कहते हैं। इसमें लंबाई का- मात्रक मीटर, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम तथा समय का मात्रक सेकंड होता है।

 मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति

अक्टूबर 1960 में, पेरिस के निकट सेवरे (Sevres) नामक स्थान पर संपन्न 11वीं तौल एवं माप के महासम्मेलन (Generai Conference of Weights and Measures) में लंबी परिचर्चाओं के बाद मात्रकों की एक नई अंतर्राष्ट्रीय पद्धति (International System of Units) का आविर्भाव हुआ। इसमें छह (six) आधारी मात्रकों को परिभाषित किया गया। 1970 में संपन्न 14वीं तौल एवं माप के महासम्मेलन (General Conference of Weights and Measures) में सातवाँ आधारी मात्रक 'मोल' जोड़ा गया। इस नई पद्धति को उसके फ्रांसीसी नामकरण Systeme International d' Unites के कारण, संक्षेप में SI मात्रक (SI units) के नाम से जाना जाता है।

 इस पद्धति में ज्यामिति (geometry) के दो राशि समतल कोण (plane angle) और घन कोण (solid angle), जो भौतिक राशि (physical quantity) नहीं है, के मात्रकों को भी संपूरक मात्रकों (supplementary units) के रूप में परिभाषित किया गया।

 तालिका में सात आधारी राशियाँ, उनके SI मात्रक और संकेताक्षर (abbreviations) दिए गए हैं तथा तालिका 1.2 में दो संपूरक राशियाँ, उनके SI मात्रक और संकेताक्षर दिए गए हैं।

                  तालिका 1.1 आधारी राशियाँ और उनके SI मात्रक

         तालिका 1.2 संपूरक राशियाँ और उनके SI मात्रक

ध्यान दें––

1. हिंदी में भी मात्रकों के संकेताक्षर (abbreviations) अंग्रेजी के अक्षर ही होंगे जैसा कि तालिका 1.1 एवं 1.2 में दिया गया है। अतः, किलोग्राम के लिए 'किग्रा' या मीटर के लिए 'मी' इत्यादि नहीं लिखना चाहिए।

2. मात्रकों के अंग्रेजी नामों को capital letter से प्रारंभ नहीं करना चाहिए, अतः 1 ampere की धारा' लिखना सही होगा, न कि '1 Ampere की धारा'

3. मात्रकों में बहुवचन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। हमें 5 ग्राम (gram) लिखना चाहिए न कि 5 ग्रामों (grams), क्योंकि 5 ग्राम (gram) का अर्थ होता है 5 (x 1) ग्राम (gram)

4. मात्रक ग्राम (gram) के लिए संकेताक्षर 'g' लिखना चाहिए न कि 'gm'. SI मात्रक में gm का अर्थ ग्राम-मीटर (gram metre) हो जाएगा।

5. किलो के लिए संकेताक्षर small letter 'k' है और केल्विन के लिए capital letter 'K'. अतः 3 किलोग्राम (kilogram) के लिए 3 kg लिखना चाहिए न कि 3 Kg, क्योंकि इसका अर्थ 3 केल्विन ग्राम हो जाएगा।

6. ताप (या तापमान) का मात्रक केल्विन (kelvin) के पहले संकेत (१) या शब्द डिग्री (degree) का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। अतः 273° K लिखना गलत होगा। 273 K लिखना सही है।

 मानक SI उपसर्ग

प्रायः मापों (measurements) को आधारी या व्युत्पन्न SI मात्रकों के पदों में व्यक्त करना बहुत सुविधाजनक नहीं होता। उदाहरण के लिए, पटना से दिल्ली की दूरी को मीटर में व्यक्त करना बहुत असुविधाजनक होगा। इस दूरी के लिए बहुत छोटा मात्रक है। उसी प्रकार एक कागज की मोटाई मीटर में व्यक्त करना चाहें तो भी असुविधा होगी। की मोटाई को व्यक्त करने के लिए मीटर बहुत बड़ा मात्रक है। इन्हीं कारणों से अंतर्राष्ट्रीय सहमति से SI उपसर्ग (prefixes) परिभाषित किए गए है।

 उदाहरण

1 मिलीमीटर = 1 mm = 10­­­­­-³ metre = 10-³ m. 

1 किलोमीटर 1 km = 10³ metre = 10³ m इत्यादि।

 विभिन्न पद्धतियों में मात्रक और उनके संबंध

किसी व्युत्पन्न राशि के व्युत्पन्न मात्रक को प्राप्त करने के लिए हम निम्नलिखित की सहायता लेते हैं।

1. उस व्युत्पन्न राशि को परिभाषित करनेवाला समीकरण (defining equation) 3it

 2. उस समीकरण में शामिल आधारी राशियों के आधारी मात्रका

 उदाहरण

 (i) क्षेत्रफल = लंबाई x चौड़ाई 

 .•. क्षेत्रफल का मात्रक = लंबाई का मात्रक x चौड़ाई का मात्रक

मीटर x मीटर = मीटर²

 अतः, क्षेत्रफल का SI मात्रक = मीटर² (m²)

 क्षेत्रफल के अन्य मात्रक हैं वर्ग सेंटीमीटर (square centimetre या cm), वर्ग मिलीमीटर (square millimetre या mm?) इत्यादि।

 1 cm² = 10 mmx10 mm = 100 mm² = 10² mm². 

 1 m² = 100 cmx100 cm = 10,000 cm² =10 cm²  

=10 x10² mm² = 10 mm². 

 (ii) आयतन = लंबाई x चौड़ाई x ऊँचाई

.•. आयतन का मात्रक = (लंबाई का मात्रक) x (चौड़ाई का मात्रक)x(ऊँचाई का मात्रक)

= (मीटर) x (मीटर) x (मीटर) = मीटर³ = m³.

 अतः, आयतन का SI मात्रक = घनमीटर = मीटर³ = m³

 आयतन के अन्य मात्रक हैं- -घन सेंटीमीटर (centimetre cube या cm³), लीटर (litre, संकेत L), मिलीलीटर (millilitre, संकेत mL) इत्यादि।

 1 cm³ = 10 mmx10 mmx10 mm = 1000 mm³

           = 10³ mm³

 1 m³ = 100 cm x 100 cm x 100 cm = 10 cm³.

 1 L = 1000 mL = 10³ mL

 1 mL = 1 cm³

 .•. 1 m³ = 1000L = 10³ L.

 (iii) घनत्व = द्रव्यमान/आयतन

.•. घनत्व का मात्रक = द्रव्यमान का मात्रक/आयतन का मात्रक

= किलोग्राम/मीटर³

= kg/m³ या kg m-³

 अतः घनत्व का SI मात्रक = kg/m³ या kg m-³.

cgs पद्धति में घनत्व का मात्रक ग्राम/घन सेंटीमीटर (g/cm³) है।

 1kg/m² = 1kg/1m³ = 10³ g/(10²cm)³ = 10³ g/10⁶ cm³

                                    =1kg/m³ = 10-³ g/cm³

                               1kg/m³ = 10-³g/cm³

 द्रष्टव्य:- कुछ व्युत्पन्न मात्रकों के विशेष नाम दिए गए हैं। इसके कारण निम्नलिखित हैं।

1. सुविधा के लिए और

2. कुछ महान वैज्ञानिकों को आदर देने के लिए।

 ऐसे व्युत्पन्न मात्रकों के उदाहरण हैं- बल का SI मात्रक न्यूटन (newton, जिसे संक्षेप में N लिखा जाता है), ऊर्जा का SI मात्रक जूल (joule, जिसे संक्षेप में J लिखा जाता है) इत्यादि।

 (iv) प्रति एकांक क्षेत्रफल (area) पर लगनेवाले बल (force) को दाब (pressure) कहते हैं। अतः,

दाब = बाल/क्षेत्रफल

 दाब का SI मात्रक न्यूटन/वर्गमीटर (N/m² या Nm-²) है। इसे हम पास्कल (pascal, संकेत Pa) कहते हैं। अतः,

 1 पास्कल = 1 Pa = 1 N/m².

 गैसीय दाब के मापन का एक मात्रक ऐटमॉस्फीयर (atmosphere, संकेत atm) है। वायुमंडल में वायु का दाब वायुमंडलीय दाब (atmospheric pressure) कहलाता है। समुद्र की सतह पर वायुमंडलीय दाब एक ऐटमॉस्फीयर होता है और इसे सामान्य दाब (normal pressure) कहा जाता है।

 1 atm = 1.013x10 Pa ≈ 1.01 x 10 Pa.

 ताप और ऊष्मा के मात्रक

मापकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में ताप या तापमान (temperature) के मापन के लिए केल्विन मापक्रम (Kelvin scale) का व्यवहार किया जाता है। इस मापक्रम पर बर्फ के गलनांक का मान 273.15 तथा जल के क्वथनांक का मान 373.15 होता है। इनके बीच की लंबाई को सेल्सियस मापक्रम जैसा ही 100 बराबर भागों में बाँटा जाता है। प्रत्येक भाग को 1 केल्विनकहा जाता है तथा इसे 1 K लिखा जाता है। अतः,

 बर्फ का गलनांक = 0°C = 273.15 K ≈ 273 K (लगभग)

जल का क्वथनांक =100°C = 373.15 K ≈ 373 K (लगभग)।

द्रष्टव्यः- केल्विन मापक्रम के एक विभाग (1 K) का मान सेल्सियस मापक्रम के एक विभाग (1°C) के बराबर होता है।

 ऊर्जा का SI मात्रक जूल (joule, संकेत J) है। चूँकि ऊष्मा भी एक प्रकार की ऊर्जा है, अतः ऊष्मा का SI मात्रक भी जूल (J) ही है। cgs पद्धति में ऊष्मा का मात्रक कैलोरी (calorie, संकेत cal) होता है। कभी-कभी इससे बड़े मात्रक किलोकैलोरी (kilocalories) का भी उपयोग किया जाता है। 

ऊष्मा के विभिन्न मात्रकों में संबंध इस प्रकार हैं

1किलोकैलोरी (kilocalorie) = 1 kcal = 1000 cal, 

1 cal = 4.186 J = 4.2 J (लगभग)

तथा 1 kcal = 4186.J = 4200 J (लगभग) = 4.2 kJ (लगभग)।




 


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