हम जिस देश में रहते है वो एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न धर्मो के लोग निवास करते है। और सभी धर्मो के लोगो को यहाँ की नागरिकता भी प्रदान की गई है। लेकिन कुछ मुस्लिम देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश इत्यादि देशों की नागरिकता प्राप्त करने के बाद उस देश को छोड़ कर भारत में प्रवेश करने वाले कुछ अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिम समुदाय के लोग जो कि हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी आदि 6 धर्मो से संबंध रखते हैं, अब उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाने के लिए इस विधेयक को केन्द्र सरकार द्वारा पेश किया गया है। जिसे लोक सभा एवं राज्ये सभा दोनों में पास करा लिया गया है, और अब यह एक विधेयक बन चूका है जिसको लेकर भारत के विभिन्न राज्यों में विरोध किया जा रहा है।
- नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लोकसभा में पेश किया गया - 09/12/2019
- नागरिकता संशोधन बिल (CAB) राज्यसभा में पेश किया गया - 11/12/2019
- नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बना - 12/12/2019
- सुप्रीम कोर्ट में चुनौती - 18/12/20219
- चुनौती 60 विपक्षी एवं अन्य पार्टयों द्वारा दी गई
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) क्या है :-
नागरिकता संशोधन बिल (CAB) 2019, लोकसभा से 9 दिसम्बर, 2019 को तथा राज्यसभा से 11 दिसम्बर, 2019 को पारित किया गया। गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया तथा नया नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश किया। साथ ही दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक 12 दिसम्बर, 2019. को राष्ट्रपति के अनुमोदन / हस्ताक्षर के बाद कानून बन गया है। इस अधिनियम द्वारा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के प्रताड़ित कुल छह धार्मिक अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई तथा पारसी नागरिकों को भारत की नागरिकता प्रदान की जायेगी। नागरिकता संशोधन बिल के अंतर्गत 31 दिसम्बर, 2014 तक भारत में प्रवेश करने वाले शरणार्थी नागरिकता प्राप्त करने के लिए स्वीकार्य होंगे। अब 11 साल के स्थान पर 5 साल भारत में रहने पर नागरिकता दी जाएगी। सबसे पहले नागरिकता अधिनियम 1955 में लाया गया था। संविधान के भाग-2 तथा अनुच्छेद 5 से 11 नागरिकता से संबंधित है। नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पास होने वाला 126वाँ संशोधन बिल है। इस विधेयक को संसद में पेश करने के बाद इस पर सभी सांसदों के बिच बात-चित हुई लेकिन इसमें विपक्ष द्वारा इसका काफी विरोध भी किया गया, लेकिन सभी चर्चाएं होने के बाद इस पारित कर दिया गया
नागरिकता अधिनियम 1955 :-
नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत यह प्रावधान था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश से आने वाले नागरिको को भारत में प्रवेश करने के बाद 11 साल तक लगातार यहाँ रहने पर भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती थी, इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है या उसके माता पिता भारतीय है या वह भारत में 11 साल तक के समाये से यहीं रहा हो तो उसे भारत का नागरिक होने का पूरा अधिकार प्राप्त हो जाता था।
नागरिकता शंशोधन विधेयक का इतिहास :-
नागरिकता शंशोदन विधेयक को सर्वप्रथम लोक सभा संसद में सन 2016 के जुलाई माह में पेश किया था, इसके बाद इसे अगस्त में संयुक्त सदस्यों की कमिटी के पास पहुँचाया गया, फिर इसके 3 साल बाद यानि 2019 के जनवरी माह में इसे लोकसभा में फिर से पेश करने के बाद इसे केंद्र सरकार द्वारा पारित करा लिया गया था। लेकिन इसके बाद जब इसे राज्यसभा में पेश किया गया तो यह वहां से पारित नहीं हो पाया और उस दौरान लोकसभा का संसदीय सत्र भी समाप्त हो गया था, जिसकी वजह से यह बिल प्रभाव में नहीं आ सका और फिर इसमें कुछ और संशोधन कर दुबारा इस शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों में पेश किया गया और केंद्र सरकार इसे वहां से पारित करवाने में भी सफल हो गई।
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के मुख्य बिंदु :-
- नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के आने के बाद ऐसे नागरिक जो कि शामिल की है गई 6 धर्म संबंध रखते है और मुस्लिम देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश) से 31 दिसंबर 2014 से पहले आएं हैं, उन्हें यहाँ रहने की अनुमति दी जाएगी और उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। यह अवधि को 11 साल से घटा कर 5 साल कर दिया गया है। यदि कोई नागरिक निर्धारित अवधि से पहले 1 से 6 साल तक भारत में निवास करता है तो उसे यहाँ की नागरिकता दे दी जाएगी।
- इस विधेयक में यह भी प्रावधान है कि इसमें अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले लोगों और जो लोग इन तीनों देशो से अत्याचार सहने के बाद भारत में आकर बस गए हैं, उनमे अंतर भी स्पष्ट रूप से किया जा सकता है। जो लोग अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं उन्हें जेल में भी डाला जा सकता है या फिर उन्हें उनके देश दोबारा भेजा जा सकता है।
- इस विधेयक के पास होने के बाद जिन नागरिको को भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाएगी, वे भारत के किसी भी हिस्से में जाकर रह सकेंगे क्योंकि इसे भारत के सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया है अतः लाभार्थियों को भारत के अन्य निवासियों की तरह स्वतंत्रा दी जाएगी।
- सरकार इस विधेयक को इसलिए लेकर आई क्योंकि उनका कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में 6 अल्पसंख्यक समुदाय ऐसे हैं जिन्हे धार्मिक रूप से भेद-भाव एवं अत्याचार सहन करना पर रहा है, उनके पास भारत में आने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है, केवल ऐसे लोगो को हीं हम भारत की नागरिकता प्रदान करना चाहते हैं।
नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध क्यों हो रहा है ? :-
असम में विरोध प्रदर्शन :- इस नागरिकता संशोधन विधेयक के आने के बाद सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन असम में हुआ असम में 1985 में एक समझौता पर हस्ताक्षार हुए थे, इसका नाम असम समझौता था। इसमें बांग्लादेश से भारत में सन 1971 के बाद प्रवेश करने वाले लोगों को राज्य से बहार कर दिया जाता था, ऐसे में यह नागरिकता संशोधन विधेयक के आने से इस समझौते पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा जिसके कारन असम में इसका बहुत विरोध हुआ।
विपक्ष का विरोध :- असम के अलावा विभिन्न विपक्षी दल भी इस विधेयक के विरोध में थें। उनका कहना था की इस विधयेक को पास कर के केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के लोगो को अपना निशाना बना रही है। उनका कहना था की अनुच्छेद 14 जो कि समानता का अधिकार है यह विधेयक उसका भी हनन करेगा साथ ही विपक्षी दल यह भी कह रहे थे कि यह बिल मुसलमानो के खिलाफ है और इसे सरकार राजनीति एवं वोट बैंक के लिए लेकर आई है।
पूर्व एवं पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध :- पूर्व एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में रहने वाले लोगों को इस बात का दर था कि इस नागरिकता संशोधन विधेयक के पास होने से उनकी पहचान एवं उनकी आजीविका में भी बहुत बड़ी परेशानी हो सकती है।
इस बिल के आने के बाद यह लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों सदनों में पारित होकर अब कानून बन चूका है, इस लिए इसका नाम CAB (Citizenship Amendment Bill) से CAA (Citizenship Amendment Act) हो गया।
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